वैज्ञानिकों ने पता लगाया, यूं हमारे शरीर को श‍िकार बनाता है कोरोना

वैज्ञानिकों ने पता लगाया, यूं हमारे शरीर को श‍िकार बनाता है कोरोना

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। इसके बावजूद इस वायरस के बारे में च‍िकित्‍सा जगत को बेहद कम जानकारी है। वैज्ञानिकों को अब तक इसकी पूरी प्रकृति का पता नहीं चल पाया है और यही वजह है कि इसका शुरुआती ठोस इलाज तक नहीं तलाश किया जा सका है। मगर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस वायरस के बारे में लगातार शोध में जुटे हुए हैं और इसी का परिणाम है कि अब ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है उन्‍होंने इस बीमारी के बारे में कुछ महत्‍वपूर्ण जा‍नकारियां जुटा ली हैं।  

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को नाक में उन दो खास प्रकार की कोशिकाओं की पहचान करने में सफलता मिली है, जो संभवत: कोरोना वायरस से सबसे पहले संक्रमित होती हैं। ये कोशिकाएं शरीर में कोरोना के दाखिल होने के लिए प्रवेश द्वार के तौर पर काम कर सकती हैं।

ब्रिटेन के वेलकम सेंजर इंस्टीट्यूट और नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने नाक में गाब्लेट और सिलिएटेड सेल्स की खोज की। इन दोनों कोशिकाओं में उच्च स्तर पर इंट्री प्रोटीन होते हैं। इन प्रोटीन के उपयोग से कोरोना वायरस (कोविड-19) हमारे शरीर की कोशिकाओं में दाखिल होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं की पहचान होने से कोरोना संक्रमण की उच्च दर की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है।

नेचर मेडिसिन पत्रिका में छपे अध्ययन से यह भी जाहिर होता है कि आंख, आंत, किडनी और लिवर समेत शरीर के दूसरे कुछ अंगों में भी इंट्री प्रोटीन होते हैं। अध्ययन में यह अनुमान भी लगाया गया है कि इंट्री प्रोटीन दूसरे इम्यून सिस्टम जीन के साथ कैसे नियंत्रित होते हैं। इन निष्कर्षों से कोरोना की रोकथाम के लिए नए लक्ष्यों को साधने के साथ उपचारों के विकास की राह खुल सकती है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 रोग की वजह बनने वाले वायरस को सार्स-कोवी-2 नाम से जाना जाता है। वायरस से सबसे पहले संक्रमित होने वाली नाक की कोशिकाओं की पहले पहचान नहीं हो पाई थी। वेलकम सेंजर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता वारडोन सुंग्नेक ने कहा, ‘हमने रिसेप्टर प्रोटीन एसीई2 और टीएमपीआरएसएस2 पाए हैं, जो नाक समेत कई अंगों की कोशिकाओं में मौजूद होते हैं। ये प्रोटीन सार्स-कोवी-2 को सक्रिय कर सकते हैं।’

इसी वजह से जब कोरोना वायरस की पहचान हुई तो सभी को इससे बचाव के लिए अपने नाक और मुंह को ढककर रखने के लिए कहा गया क्योंकि जो लोग भी इसकी चपेट में आ रहे थे वो अपना नाक और मुंह खुला होने की वजह से संक्रमित हो रहे थे। फिर ये सिलसिला आगे तक चलता जा रहा था जिससे संक्रमित होने वालों की संख्या अब लाखों में पहुंच चुकी है। इसी वजह से तमाम देशों की सरकारों ने अपने यहां लॉकडाउन किया जिससे वायरस के संक्रमण को रोका जा सके।

 

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